Sunday, April 25, 2010

जल

-: जल :-
 
२२ मार्च जागतिक जल दिन के उपलक्ष्य में जल की महती का वर्णन करती यह कविता....

अवकाश में पिंड कई ,
वैसा ही एक पिंड धरा,
सोचो तो किसने इसमें 
जीवन का यह रंग भरा.
इन नीरस भू रचनाओं पर 
किसने बिखराया रंग हरा.
कैसे यह सामान्य ग्रह
कहलाया माता वसुंधरा.
कौन उतर बदली से खेतों में 
अन्न रूप में लहलहाए .
कौन है जिसकी हर फुहार 
जीवन अमृत बरसाए.

तिन चौथाई भूमि पर 
उसीका साम्राज्य छाया.
जीवन का आस्वाद नमक 
भी तो इसीसे है पाया.

झरने में , नदी में 
सागर में,
घड़े सुराही गागर में,
कुंओ, कूपों नालों में ,
बान्धो, नहरों और तालों में.

इसीसे जिव- इसीसे वन,
हमारे अस्तित्व के लिए 
आवश्यक है इसका जतन,
सत्य ही तो है कथन,
जल ही है जीवन..
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